Sunday, July 21, 2013

आवेग: उत्तराखंड में मची तबाही मुनाफ़ाखोरी पर टिके पूंजीव...

आवेग: उत्तराखंड में मची तबाही मुनाफ़ाखोरी पर टिके पूंजीव...: उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ के कारण अब तक जारी आंकड़ों के अनुसार दस हज़ार से ज़्यादा लोग अपनी जान गँवा चुके हैं और कई लापता हैं...

उत्तराखंड में जो तबाही मची है उसका कारण कोई दैवीय प्रकोप नहीं है जैसा कि तमाम चुनावी पार्टियों के नेता गला फाड़-फाड़ कर कह रहे हैं। यह सब बातें जानबूझकर जनता की आँखों मे धूल झोंकने के लिए कही जा रही हैं ताकि आम जनता इस तबाही के पीछे जो असली कारण हैं उन कारणों को कभी जान न पाये। इस तबाही का मुख्य कारण है लूट-खसोट पर टिकी मुनाफ़ाखोर, अमानवीय पूँजीवादी व्यवस्था।......

Sunday, July 14, 2013

कविता शब्दों का खेल नहीं



तुकान्त शब्दो की बाजीगरी
कविता नहीं होती
कविता शब्दों का खेल नहीं
गीत मनोरंजन मात्र नहीं।

कविता ऊपजती है दर्द से
कविता ऊपजती है बगावत से
कविता ऊपजती है जीवन से
कविता जीवन है दर्द है बगावत है।

कविता युद्ध में थके सैनिक की ऊर्जा का स्त्रोत है
वीरों का आवाह्न है कविता
शोक को शक्ति में बदलने का यंत्र है कविता
ख़िजा मे खिलाती है फूल कविता।

Saturday, July 6, 2013

चक्रव्युह



ट्रैफिक हवलदार - लाइसेंस दिखाओ! चालक - नहीं है साब!
ट्रैफिक हवलदार - क्या तुमने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया है?
चालक - नहीं।
ट्रैफिक हवलदार - क्यों?
चालक - मैं बनवाने गया था, पर वो पहचान पत्र माँगते हैं। वो मेरे पास नहीं है।
ट्रैफिक हवलदार - तो तुम मतदाता पहचान पत्र बनवा लो।
चालक - मै वहाँ गया था साब! वो राशनकार्ड माँगते है। वो मेरे पास नहीं है।
ट्रैफिक हवलदार - तो पहले राशन कार्ड बनवा लो।
चालक - मैं म्युनिसिपल भी गया था साब! वो पासबुक माँगते हैं।
ट्रैफिक हवलदार - तो मेरे बाप, बैंक खाता खुलवा ले।
चालक - मैं बैंक गया था साब! बैंकवाले ड्राइविंग लाइसेंस माँगते हैं।

Thursday, June 27, 2013

इतिहास हमारे बारे में फैसला करेगा: मर्लन ब्रांडो का एक बयान

भारतीय फिल्म उद्योग के रीढ़-विहीन जुगाड़ुओं की भीड़ के बीच इस बयान को याद किए जाने की जरूरत है. यह बयान मशहूर अमेरिकी अभिनेता मर्लन ब्रांडो ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए मिले ऑस्कर अवार्ड को ठुकराते हुए दिया था, जिसे उनकी तरफ से अपाचे आदिवासी समुदाय से आनेवाली अभिनेत्री और नेशनल नेटिव अमेरिकन एफरमेटिव इमेज कमिटी की अध्यक्ष सशीन लिटिलफेदर ने पेश किया था. हालांकि ऑस्कर समारोह में उन्हें पूरा बयान पढ़ने की इजाजत नहीं दी गई और उन्हें मिनट भर में अपनी बात खत्म कर लेने को कहा गया (इस समय सीमा को पार करने पर मंच से हटा दिए जाने की धमकी दी गई थी), जिसकी वजह से लिटिलफेदर ने यह बयान समारोह से बाहर प्रेस के सामने पेश किया था. ब्रांडो को यह अवार्ड द गॉडफादर में उनके शानदार अभिनय के लिए दिया गया था. उन्होंने अवार्ड को ठुकराने का साहस दिखाते हुए उन्हीं दिनों अमेरिका के साउथ डकोटा के वुंडेड नी में अमेरिकी फौज द्वारा संघर्षरत अमेरिकी इंडियनों की हत्याओं और भारी दमन की तरफ दुनिया का ध्यान खींचा था. इस संघर्ष में मर्लन ब्रांडो, एंजेला डेविस, जेन फॉन्डा और दर्जनों बुद्धिजीवी, कलाकार, कार्यकर्ताओं ने संघर्षरत आदिवासियों का साथ दिया था. ब्रांडो ने सिर्फ इसी घटना नहीं, बल्कि आदिवासियों और ब्लैक लोगों के निरंतर शोषण का हवाला भी दिया है. यह बयान आज के भारत में मौजूं है जब भारतीय राज्य यहां के आदिवासियों, दलितों और मुस्लिमों के खिलाफ युद्धरत है. आतंक के खिलाफ युद्ध और ऑपरेशन ग्रीन हंट जैसे फौजी, हिंसक अभियानों के तहत भारतीय राज्य द्वारा जनता के खिलाफ हमले जारी हैं. यहां भी राजसत्ता आदिवासियों को सबसे पहले हथियार रख देने को कहती है और उसके बाद जनसंहारों के सिलसिले शुरू करती है. यह पोस्ट इस उम्मीद में कि अगर आप अपने भाइयों के मुहाफिज नहीं बने तो उनके जल्लाद भी नहीं बनेंगे. अनुवाद: रेयाज उल हक. 
बयान यहां पढ़ें

Wednesday, June 5, 2013

विश्वसुन्दरी प्रतियोगिता में बिकनी नहीं पहनेंगी प्रतिभागी

विश्वसुन्दरी प्रतियोगिता के आयोजकों के हवाले से प्रकाशित एक खबर के मुतीबिक विश्वसुन्दरी प्रतियोगिता में प्रतिभागी बिकनी नहीं पहनेंगी. मैं आश्चर्यचकित हूं और चिन्तित भी कि अभी तक इन बेचारियों को कम से कम इतनी तो गनीमत थी कि बदन पे दो इन्च ही सही कपड़ा होने का अहसास तो होता था। अब ये आयोजक ये दो इन्च कपड़ा भी देने की हैसियत गवां चुके हैं। चलो एक तरह से अच्छा ही है अब इन सुन्दरियों की सुन्दरता एक दम साफ दिखेगी और भद्रजन ज्यादा भद्र हो सकेंगे। तथास्तु।

जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी

किसने लिखी, कहां से चली कुछ नहीं पता बस इतना पता है कि मैंने नहीं लिखी, ईमेल में मिली अच्छी लगी यहां पब्लिश कर दिया।

जब मैं छोटा था,
शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी..
मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक का वो रास्ता,
क्या क्या नहीं था वहां,
चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,
अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लर" हैं,
फिर भी सब सूना है..
शायद अब दुनिया सिमट रही है...!!

जब मैं छोटा था, शायद शामें बहुत
लम्बी हुआ करती थीं.. मैं हाथ में पतंग की डोर पकड़े,
घंटों उड़ा करता था,
वो लम्बी "साइकिल रेस", वो बचपन के खेल,
वो हर शाम थक के चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है.
अब शायद वक्त सिमट रहा है..!!

जब मैं छोटा था,
शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
दिन भर वो हुजूम बनाकर खेलना,
वो दोस्तों के घर का खाना, वो साथ रोना...
अब भी मेरे कई दोस्त हैं, पर दोस्ती जाने कहाँ है,
जब भी "traffic signal" पे मिलते हैं "Hi" हो जाती है,
और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,
होली, दीवाली, जन्मदिन, नए साल पर बस SMS जाते हैं,
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..!!

जब मैं छोटा था,तब खेल भी अजीब हुआ करते थे,
छुपन छुपाई, लंगडी टांग, पोषम पा, कट केक,
टिप्पी टीपी टाप. अब internet, office,
से फुर्सत ही नहीं मिलती..
शायद ज़िन्दगी बदल रही है...!!

जिंदगी का सबसे बड़ा सच यही है..
जो उस कबरिस्तान के बाहर बोर्ड पर लिखा था ...
"मंजिल तो यही थी,बस जिंदगी गुज़र
गयी मेरी यहाँ आते आते"

तमन्नाओं से भरी इस जिंदगी में
हम सिर्फ भाग रहे हैं..
कुछ रफ़्तार धीमी करो, मेरे दोस्त,
और इस ज़िंदगी को जियो खूब जियो मेरे दोस्त...!!

Sunday, April 28, 2013

तुम्हारा— जेबकतरा भाई (Upendra Singh Pal)

बस से उतरकर.. जेब में हाथ डाला, मैं चौंक पड़ा.., जेब कट चुकी थी..। जेब में था भी क्या..? कुल 150 रुपए और एक खत..!! जो मैंने अपनी माँ को लिखा था कि- मेरी नौकरी छूट गई है; अभी पैसे नहीं भेज पाऊँगा…। तीन दिनों से.. वह पोस्टकार्ड मेरी जेबमें पड़ा था। पोस्ट.. करने को.. मन ही.. नहीं कर रहा था। 150 रुपए जा चुके थे..।
 
यूँ 150 रुपए ..कोई बड़ी रकम नहीं थी., लेकिन..जिसकी नौकरी छूट चुकी हो, उसके लिए.. 150 रुपए.. 1500 सौ से कम.. नहीं होते..!! कुछ दिन गुजरे...। माँ का खत मिला..। पढ़ने से पूर्व मैं सहम गया..। जरूर.. पैसे भेजने..को लिखा होगा..।लेकिन, खत पढ़कर.. मैं हैरान.. रहगया। माँ ने लिखा था — “बेटा, तेरा 500 रुपए का भेजा हुआ मनीआर्डर मिल गया है। तू कितना अच्छा है रे !…पैसे भेजने में कभी लापरवाही नहीं बरतता..।”
मैं इसी उधेड़-बुन में लग गया कि आखिर माँ को मनीआर्डर किसने भेजा होगा..? कुछ दिन बाद.,एक और पत्र मिला..। चंद लाइनें लिखी थीं—आड़ी- तिरछी..।  

बड़ी मुश्किल से खत पढ़ पाया..। लिखा था — “भाई, 150 रुपए तुम्हारे और 350 रुपए अपनी ओर से मिलाकर मैंनेतुम्हारी माँ को मनीआर्डर भेज दिया है..। फिकर.. न करना। माँ तो सबकी.. एक- जैसी ही होती है न..!!
वह क्यों भूखी रहे...?? तुम्हारा— जेबकतरा भाई..!!!

Saturday, April 27, 2013

मनमोहन जी पानी राखिए बिन पानी सब सून


मनमोहन जी पानी राखिए बिन पानी सब सून। गोरखपुर परमाणु संयंत्र में 700 मेगावाट की 4 यूनिट तैयार की जाएगी। जिसके कूलिंग सिस्टम को चलाने के लिए लगातार 320 क्यूसिक पानी की जरूरत पड़ेगी। मौजूदा समय में भाखड़ा नहर बीते 10 अप्रैल से बंद है। जिसमें गत 23 अप्रैल को पानी छोड़ा जाना था, जो अब 30 अप्रैल तक छोड़ा जाएगा। फुकुशिमा परमाणु संयंत्र हादसा कुलिंग सिस्टम के ठप होने की वजह से हुआ था। अगर गोरखपुर परमाणु संयंत्र की पानी सप्लाई बाधित हुई तो वही हाल यहां भी होगा। 

प्रधानमंत्री हरियाणा में सूखी नहर के किनारे रखेंगे परमाणु संयंत्र की आधारशिला !