आवेग: उत्तराखंड में मची तबाही मुनाफ़ाखोरी पर टिके पूंजीव...: उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ के कारण अब तक जारी आंकड़ों के अनुसार दस हज़ार से ज़्यादा लोग अपनी जान गँवा चुके हैं और कई लापता हैं...
उत्तराखंड में जो तबाही मची है उसका कारण कोई दैवीय प्रकोप नहीं है जैसा कि तमाम चुनावी पार्टियों के नेता गला फाड़-फाड़ कर कह रहे हैं। यह सब बातें जानबूझकर जनता की आँखों मे धूल झोंकने के लिए कही जा रही हैं ताकि आम जनता इस तबाही के पीछे जो असली कारण हैं उन कारणों को कभी जान न पाये। इस तबाही का मुख्य कारण है लूट-खसोट पर टिकी मुनाफ़ाखोर, अमानवीय पूँजीवादी व्यवस्था।......
Sunday, July 21, 2013
Sunday, July 14, 2013
कविता शब्दों का खेल नहीं
तुकान्त शब्दो की बाजीगरी
कविता नहीं होती
कविता शब्दों का खेल नहीं
गीत मनोरंजन मात्र नहीं।
कविता ऊपजती है दर्द से
कविता ऊपजती है बगावत से
कविता ऊपजती है जीवन से
कविता जीवन है दर्द है
बगावत है।
कविता युद्ध में थके सैनिक
की ऊर्जा का स्त्रोत है
वीरों का आवाह्न है कविता
शोक को शक्ति में बदलने का
यंत्र है कविता
ख़िजा मे खिलाती है फूल कविता।
Saturday, July 6, 2013
चक्रव्युह
ट्रैफिक हवलदार - लाइसेंस दिखाओ! चालक - नहीं है साब!
ट्रैफिक हवलदार - क्या तुमने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया है?
चालक - नहीं।
ट्रैफिक हवलदार - क्यों?
चालक - मैं बनवाने गया था, पर वो पहचान पत्र माँगते हैं। वो मेरे पास नहीं है।
ट्रैफिक हवलदार - तो तुम मतदाता पहचान पत्र बनवा लो।
चालक - मै वहाँ गया था साब! वो राशनकार्ड माँगते है। वो मेरे पास नहीं है।
ट्रैफिक हवलदार - तो पहले राशन कार्ड बनवा लो।
चालक - मैं म्युनिसिपल भी गया था साब! वो पासबुक माँगते हैं।
ट्रैफिक हवलदार - तो मेरे बाप, बैंक खाता खुलवा ले।
चालक - मैं बैंक गया था साब! बैंकवाले ड्राइविंग लाइसेंस माँगते हैं।
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